Monday, 22 October 2018

प्रति सरकार कशी बनतात , कशी असतात ?

एकाद्या राज्य विरुद्ध का आणि कशी बनतात प्रति सरकार ? ती कशी काम करतात ? हे बघ्या सारखे असेल. १९४२ मध्ये चाले जावं आंदोलन झाले तेव्हा आता ब्रिटीश सरकार फार काळ राहणार नाही हे निच्चीत झाले . त्या मुळे कांतिकारी चालवली अधिक तीव्र झाल्या आणि काही क्रांतीकारी लोकांनी असलेले सरकार नाकारून आपले स्वतःचे सरकार बनवले . १०४२ मधेच क्रांतिसिंह  नाना पाटील यांनी साताऱ्याला प्रति सरकार स्थापन करून ते स्वतः गुप्त राहून देश स्वतंत्र होईपर्यंत चालविले .

२१ ऑक्टोबर , १९४३ साली नेताजी शुभासचंद्र बोस यांनी आपले स्वतःचे प्रति  सरकार घोषित केले व त्यांच्या मृत्यू पर्यंत चालिवले .

काही ठिकाणी बिहार मध्ये  १९४२ मध्ये प्रति सरकार घोषित करण्यात आले पण ते नेताजी , नाना पाटील यांचे प्रमाणे चालले नाही .

उमाजी नाईक यांनी पुरंदर येथे मराठ्यांचे राज्य समाप्त  होताच स्वतःचे राज्य घोषित केले होते  . त्यांचे ५००० सैन्य होते १७-१८ व्या शतकात   उमाजी  नाईकांना  देशाचे  प्रथम  किव्हा  आद्य  क्रांतिकारी म्हणून सुद्धा म्हटले जाते त्यांचा काळ १८५७ च्या पूर्वीचा होता त्यांना इंग्रजांनी फाशी दिली .

आज सुद्धा प्रति सरकार आहेत असे वाटते . संघ जी संस्था सरकार बाहेर राहून आपल्या पिल्लावळीच्या  माध्यमातून प्रति सरकार चालवीत असते असे सर्व सामान्य म्हटले जाते . नक्सल सुद्धा आपले प्रति सरकार चालवितात तसेच काश्मीर मध्ये काही असेच प्रतिसरकार आहेत असे म्हटले जाते . हे झाले संघ शक्ती च्या जोरावर तर धनांचा जोरावर अनेक लोक प्रतिसरकार असे वावरत असतात . अडाणी - अंबानी आता नवीन स्वरूपाचे धन दांडग्यांचे प्रति सरकार आहे असे म्हटले जाते .

कायदेशीर सरकार आणि  बेकायदेशीर प्रति सरकार असे स्वरूप  सत्तेत  दिसून येतात . प्रति सरकार आता मात्र सरकारच्या समर्थनाने निर्माण केले जाते असे दिसून येते . ते सत्ता बदल झाले कि सत्ताची केंद्रे बदलता तशी बदलत असतात . गांधी घराणे , संघ परिवार असे आता सत्ता केंद्रे दिसतात .

नेटिव्ह रुल मोव्हमेन्ट एकाच कायदेशीर सरकार असावे या मताचे आहे त्या मुळे सत्ता बाह्य केंद्रे नष्ट करण्यात यावी असे आमचे मत    आहे तसेच विदेशी   ब्राह्मण  सत्ता  वैदिक  वर्णवादी  , जातीवादी  अधर्म  नष्ट  करावे  असे आमचे स्पस्ट  मत   आहे . त्या साठी   आम्ही  हिंदू  वोही  , जो    ब्राह्मण नाही असे म्हणतो  . जनयु  छोडो  , भारत  जोडो  असे म्हणतो  आणि संपूर्ण  नेटिव्ह सत्ते साठी विदेशी ब्राह्मण भारत  छोडो  असे सुद्धा म्हणतो !

नेटिविस्ट डी डी राऊत
अध्यक्ष
नेटिव्ह रुल मोव्हमेन्ट  

Friday, 5 October 2018

अब केवल एक ही काम : विदेशी ब्राह्मण भगवो , नेटिव रूल लावो !
अगर हिंदवे, हिण्डो जैसे सब्द एसवी सन १५०० पूर्व भी हमारे लिए कहे जाते थे और ईरानी , ब्राह्मण हमें काले , चोर , नीच , शूद्र कहते थे तो वो उनकी हमारे लिए जलन मानी जानी चाहिए क्यों की अक्सर गधे लोग , असभ्य लोग जैसे की इतिहास में यूरेसियन ब्राह्मण जाने जाते है और सिंधु संस्कृति के सामने पर्शियन , ईरानी संस्कृति भी बच्चा ही थी , वे हम हिन्दू को कोई गाली देकर नीच , काले , चोर , शूद्र भी कहते है तब भी वह हमारे लिए हम विश्व में बड़े होने की बात ही जाहिर करती है , हिंदवे , हिण्डो , हिन्दू यह बहुतही पुरातन सब्द है इस में कोई शक नहीं और वो सिंधु हिन्दू सभ्यता माननेवाले , विक्सित करने वाले लोगो के लिए प्रयुक्त किया गया है , जहा वे लोग भी है , धर्म भी है और राष्ट्र भी। ऐसी सब्द से इंडो और आज इंडिया अर्थात हिंदुस्तान बना है। हमारा धर्म भी हिण्डो ही रहा है और आगम का मतलब केवल पुराना दर्शानेके के लिए ज्यादा सटीक लगता है धर्म का वो नाम नहीं लगता। धर्म का नाम हिन्दू जो लोग और देश दर्शाता है वही ज्यादा ठीक लगता है और हिन्दू के देवीदेवता में जो गैर ब्राह्मण रहे है उसमे पशुपति नाथ , नाग नाथ , शक्ति , भूमि आदि रहे होंगे और उनमे कुछ का दर्जा धर्म संस्थापाल का भी रहा होगा।
आज हमें सोचना है हिन्दू , हिंदुस्तान , हिन्दू संस्कृति , हिन्दू धर्म के लिए क्या जरुरी है ? हम नाम लेकर पीछे नहीं जा सकते , हिन्दू धर्म जा नाम कोई और नहीं रख सकते , हिन्दू लोगो को हम किसी और नाम से आज हम नहीं बुला सकते। हम केवल हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म कैसे अलग अलग है वो बता सकते है , उनका ब्राह्मण धर्म क्या है , हमारा हिन्दू धर्म क्या है ये बता सकते है , नए नाम से नया धर्म नहीं निर्माण कर सकते नाही ऐसे एक सामाजिक , शैशणिक संस्था जैसा मान कर उसकी हम नियमावली बना सकते है , धर्म बताने के किये पुँहचे हुवे धर्मात्मा की जरुरत होती है जिसजे जीवन पूर्ण स्वच्छ , साफ सुथरा और जैसी वाणी वैसे रहनी जैसा होना जरुरी है धर्म को इधरका कुछ , उधर का कुछ कर हम समरी नहीं बना सकते। हिन्दू धर्म क्या है ये बताने का काम धर्मात्मा कबीर ने अपनी लोक वाणी बीजक में बहुत ही सरल भाषा और आध्यात्मिकता का हर पहलु छू कर किया है जो हिंदुस्तान की वास्तविक धरातल से जुड़ा हुवा है उसे हमें उदारता पूर्वक और सच्चे मन से ग्रहण कर सत्य हिन्दू धर्म ये है बताना पड़ेगा और ब्राह्मण धर्म अलग है वो केवल ३ पृषत सवर्ण , एक वर्ण ब्राह्मण का है , गैर ब्रह्मिन का नहीं है कहाँ पड़ेगा। ब्राह्मण धर्म वेद , भेद , वर्ण ,जाती , ऊंचनीच , ब्राह्मण , ब्राह्मण पुजारी , होम हवं है , रेपिस्ट गोड्स ब्रह्मा , विष्णु , इंद्रा , सोम , वरुण , रूद्र है जो हम हिन्दू नहीं मानते , नाही मानना चाहिए ये बताना है।
हिन्दू सब्द की व्याख्या बहुत हो गयी , काले , नीच , चोर आदि सब्द हमारे लिए अब कोई महत्त्व नहीं रखते है। हिन्दू मतलब , गैर ब्राह्मण 97 प्रतिशत लोग जो सभी किसी समय एक ही थे हिंदुस्तानी थे धर्म , देश , राष्ट्र से एक थे जो हिन्दू इस एक ही नाम से जाने जाते है आज कुछ धर्मातरित हुवे होंगे पर सभी आज भी हिन्दू ही है। हम एक राष्ट्र है नेटिव नेशन है , नेटिव हिंदुत्व हमारा आत्मा है जिसे हम सब्दो में उलज़कर अपना कीमती समय व्यर्थ में गवा नहीं सकते।
मेरा वतन ; हिंदुस्तान
मेरा धर्म ; हिन्दू ( बौद्ध , जैन , सिख और मूल हिन्दू धर्मातरित )
मेरी भाषा ; हिंदी
मेरी पहचान ; हिंदवी
मेरा हिन्दू धर्म ग्रन्थ : बीजक
मेरा हिन्दू धर्म गुरु : धर्मात्मा कबीर
मेरे हिन्दू देवता : शिव , राम , कृष्ण , कबीर , साई
मेरे पूज्यनीय : सभी गैर ब्राह्मण महात्मा , साधु , संत , महापुरुष
अब केवल एक ही काम : विदेशी ब्राह्मण भगवो , नेटिव रूल लावो !
नेटिविस्ट डी डी राउत ,
प्रचारक ,
सत्य हिन्दू धर्म सभा
नेटिविस्ट डी डी राउत के सरल जीवन पर :

जन्म :
२४ अगस्त १९४८ , पौनी , जिल्हा ; भंडारा , महाराष्ट्र

प्राथमिक शिक्षा ;
नगरपालिका नेहरू प्राथमिक शाला और नगरपालिका सक्ससेना प्राथमिक शाला, पौनी

उच्चा शाला :

नगरपालिका स्कूल , पौनी १९६५ तक

कॉलेज :

आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज, सावनेर ,
नवजबाई हितकारणी कॉलेज , ब्रह्मपुरी ,
गोविंदराम सेक्सरिया कॉमर्स कॉलेज , नागपुर १९७२ ऍम. कॉम तक

नौकरी :

ऑडिटर , डायरेक्टर ऑफ़ ऑडिट , सेंट्रल रेलवे , मुंबई
अस्सी एकाउंट्स अफसर , इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज
अफसर इन चार्ज, शिपिंग एंड क्लीयरेंस , आईटीआई
अकाउंटेंट , दैनिक सम्राट , मुंबई
सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर, इंडियन एजुकेशन सोसाइटी , मुंबई
प्रोजेक्ट मैनेजर, डिबेसा , डोम्बिवली

निजी उद्दोग :

होटल कृष्णा

सामजिक कार्य :

अध्यक्ष , तरुण बौद्धिक मंडल , पौनी १९७२
अध्यक्ष , फेडरेशन फॉर ईरादीकेसन ऑफ़ इविल्स , मुंबई १९७३
अध्यक्ष , बहुजन एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया , कल्याण
इंग्लिश स्कूल , बाल गृह
अध्यक्ष : आईटीआई रीजनल एम्प्लाइज कांग्रेस यूनियन
अध्यक्ष ; आईटीआई आफिसर्स रीजनल एसोसिएशन

अध्यक्ष ; अखिल भारतीय श्रमिक अन्याय निर्मूलन लोक समिति ( यूनियन ) अहमदबाद

जनरल सेक्रेटरी, प्रभारी प्रमुख : गुजरात कांग्रेस समाजवादी

प्रेजिडेंट : नेटिव रूल मूवमेंट , १९९० से आज तक
नेटिव पीपल्स पार्टी
मूल भारतीय विचार मंच
सत्य हिन्दू धर्म सभा

फाउंडर ऑफ़ पोलिटिकल थॉट :

नेटिविज़्म एंड नेटिव हिंदुत्व :

नेटिविज़्म यह वैश्विक विचार है जो वसाहतवाद , ब्रह्मिणवाद और अमर्याद पूंजीवाद को विश्व में सभी जगह विरोध करता है और नेटिव रूल लाने का समर्थन करता है

कुछ प्रसिद्ध विचार :

हिन्दू वोही , जो ब्राह्मण नहीं !
हिंदुत्व वही , जिसमे ब्राह्मण बिलकुल नहीं !
जनेऊ छोडो , भारत जोड़ो !
हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म अलग अलग है !
हिन्दू धर्म का एक मात्र धर्म ग्रन्थ है बीजक !
हिन्दू धर्म में वर्ण , जाती , ब्राह्मण , होम हवन , ब्राह्मण रेपिस्ट गोड्स ब्रह्मा , विष्णु , इंद्रा , रूद्र नहीं है वे ब्राह्मण धर्म में है।
धर्मात्मा कबीर ने ब्राह्मण धर्म पूरी तरह ख़ारिज किया है !
विदेशी ब्राह्मण , ब्राह्मण धर्म , ब्रह्मिणवाद ये सभी हिन्दू , हिंदुस्तान और सभी नेटिव लोगो के दुश्मन है !
केवल ३ प्रतिशत विदेशी ब्राह्मण सवर्ण एक है बाकी ९७ प्रतिशत नेटिव है! विदेशी ब्राह्मण , भारत छोडो !

मानद प्राध्यापक ; इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ ह्यूमन राइट्स , नई दिल्ली

नेटिविस्ट दौलतराव डोमाजी राउत