#रमैनी : ७८
मानुष जन्म चूकेहु अपराधी * यहि तन केर बहुत हैं साझी
तात जननि कहैं पुत्र हमारा * स्वारथ जानि कीन्ह प्रतिपारा
कामिनि कहैं मोर पिउ आही * बाघिनि रूप गिरासा चाही
सुत कलत्र रहैँ लौ लाई * यम की नॉई रहैं मुख बाई
काग गिद्ध दोउ मरण विचारें * सीकर श्वान दोउ पंथ निहारें
अगिन कहै मैं ई तन जारों * पानि कहै मैं जरत उबारों
धरती कहै मोहि मिलि जाई * पवन कहै संग लेऊं उड़ाई
तेहि घर को घर कहै गंवारा * सो बैरी होय गले तुम्हारा
सो तन तुम आपन कै जानी * विषय स्वरूप भुलेउ अज्ञानी
#साखी :
इतने तने के साझीया, जन्मों भरि दुख पाय /
चेतन नाहिं मुग्ध नर बौरे, मोर मोर गोहराय // ७८ //
#शब्द_अर्थ :
साझी = हिस्सेदार ! तात = पिता ! जननि = माता ! कामिनि = पत्नी ! पिउ = प्रियतम ! कलत्र = कुल गोत्र के रिश्तेदार ! लौ = कामना , इच्छा ! सीकर = सियार ! मुग्ध = मोहित ! बौरे = पागल , मूर्ख ! गोहराय = पुकारना , मदत के लिए विनंती करना ! विषय = काम क्रोध आदि विकार !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो हमने बड़े भाग्य से दुर्लभ मानव जीवन पाया है ! मानव जीवन की यह विशेषता है की हमेंने चेतन राम के दर्शन की अलौकिक बुद्धिमत्ता पाई है , विवेक पाया है पर हम विवेक ना करे तो वो मूर्खता होगी !
भाईयो इस शरीर और उसके रख रखाव के अलावा भी शरीर से हमे चेतन राम के दर्शन का अवसर मिला है वरना इस शरीर की कोई बढ़ाई नही ! ये शरीर नश्वर है ! जन्म दाता मां बाप चाहते है उसका पुत्र पुत्री उसकी सेवा करे आदेश माने , कुल गोत्र के रिश्तेदार भाई बहन चाहते है आप उनका भला करे , कुछ दे ! आपके पति या पत्नी चाहते हैं आप बस उसका हो कर रहे किसी और की ना सुने और बेटे बेटी चाहते है आप उनका इसी जन्म का नही तो आगे के लिए भी धन संपत्ति कमाए और उनको दे !
आपके मृत्यु पर आपका ये नश्वर शरीर किसी जंगल में मिले तो कौवे गिद्ध कुत्ते और सियार नोच नोच कर खा लेंगे और अग्नि आप को जलाने के लिए तैयार है तो पानी में सड़ जावोगै और जलचर खा लेंगे ! ऐसे नश्वर शरीर को तुम सब कुछ समझ रहे हो जब की यही अवसर है जन्म जन्मांतर से मुक्त होने के लिए प्रयास करने का क्यू की यही अंतिम अवसर है चेतन राम , आत्म स्वरूप को पहचान ने का ! और वो पहचान करने का मार्ग परख करना है प्रज्ञाबोध है ! ये मार्ग मूलभारतीय हिंदूधर्म के शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित आदिधर्म मूलधर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म है ! मोक्ष का मार्ग है !
कबीर साहेब कहते है मेरा मेरा की अंधकार अज्ञान से बाहर आवो , अहंकार माया मोह विषय के गर्त से बाहर आवो , विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के नर्क से बचो ! सत्यधर्म मूलभारतीय हिंदूधर्म का नैतिक आचरण करो तो जन्म मृत्यु के फेरे से बचोगे !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ